08 Apr Shri Shani Chalisa
श्री शनि चालीसा
Audio Courtesy: VedicYuga Bhajan Archives
श्री शनि चालीसा Shri Shani Chalisa in Hindi
(श्री शनि चालीसा)
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि,कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं।रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो।कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गयी चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हों।तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुँ भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूँजी-मीन कूद गयी पानी॥
श्री शंकरहि गहयो जब जाई।पार्वती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रोपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।हय दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को,कीन्हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन,हो भवसागर पार॥
(श्री शनि चालीसा)
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि,कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु,सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन।यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा।भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं।रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत।तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो।कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई।मातु जानकी गयी चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति मति बौराई।रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका।बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी।हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो।तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हों।तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।आपहुँ भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी।भूँजी-मीन कूद गयी पानी॥
श्री शंकरहि गहयो जब जाई।पार्वती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।बची द्रोपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो।युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।हय दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला।करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
॥ दोहा ॥
पाठ शनिश्चर देव को,कीन्हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन,हो भवसागर पार॥
शनिदेव कौन हैं? सनातन धर्म में शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। सभी देवताओं में शनिदेव ही एक ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा लोग आस्था के साथ डर से भी करते हैं। इसकी मुख्य वजह शनि देव का न्यायाधीश का पद है। शनि देव निष्पक्ष न्याय करने वाले देवता हैं, वे व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव को कलयुग में भी निष्पक्ष न्याय करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। पंडितों के अनुसार शनि देव जब व्यक्ति से प्रसन्न होते हैं तो भक्तों का उद्धार करते हैं और जब नाराज होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा देते हैं।
शनिदेव के व्रत का महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दू धर्म में नवग्रहों में शामिल शनि देव का विशेष महत्व है। शनि देव को धर्मराज माना गया है। व्यक्ति के सभी अच्छे और बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। ज्योतिषों की माने तो शनि देव की अशुभ दृष्टि यदि किसी राशि पर पड़ जाए तो जातक के जीवन में भूचाल आ जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से व्यक्ति परेशान हो जाता है। शनिदेव को प्रसन्न रखने से धन, नौकरी और व्यापार में उन्नति मिलती है। साथ ही सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और विवाह संबंधी सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
शनिदेव के व्रत का महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दू धर्म में नवग्रहों में शामिल शनि देव का विशेष महत्व है। शनि देव को धर्मराज माना गया है। व्यक्ति के सभी अच्छे और बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। ज्योतिषों की माने तो शनि देव की अशुभ दृष्टि यदि किसी राशि पर पड़ जाए तो जातक के जीवन में भूचाल आ जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से व्यक्ति परेशान हो जाता है। शनिदेव को प्रसन्न रखने से धन, नौकरी और व्यापार में उन्नति मिलती है। साथ ही सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है और विवाह संबंधी सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
शनि चालीसा के 10 लाभ।
- शनिदेव के प्रसन्न होने पर व्यक्ति के जीवन में सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं। उस व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा और कष्ट नहीं होता है। सभी प्रकार के विवाद स्वतः ही सुलझ जाते हैं। व्यक्ति हर तरह की दुर्घटना से बच जाता है।
- शनिदेव के प्रसन्न होने पर व्यक्ति स्वस्थ और उसका शरीर मजबूत रहता है। वक्त के पहले आंखें कमजोर नहीं होती है। हड्डी और नसें मजबूत होगी। फेफड़े अन्य की अपेक्षा ज्यादा मजबूत होते हैं।
- शनिदेव की अच्छी दृष्टि से जातक के मन में घबराहट नहीं रहती। यदि आप न्यायप्रिय हैं और आपको हमेशा सच बोलने वाले लोग पसंद हैं तो निश्चित ही आप पर शनिदेव की कृपा है। यदि आप पर शनिदेव की कृपा है तो आप अनावश्यक चिंता और घबराहट से दूर रहेंगे। आपको किसी भी प्रकार का डर नहीं रहेगा। खुलकर आप जीवन का लुफ्त उठाएंगे।
- यदि आपको अचानक ही धन की प्राप्ति होने लगे और समाज में मान-सम्मान में भी वृद्धि होने लगे तो समझ जाइए कि आपकी कुंडली में शनि देव की विशेष कृपा है। जो जातक चमड़े, लोहे, तेल, लकड़ी, खदान संबंधित व्यापार करता है उसे शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए।
- जो जातक शनिदेव की पूजा करता है उससे शनिदेव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और उसके जीवन में आने वाले कष्ट जल्दी खत्म होते हैं और घर में सुख-शांति मिलती है
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और पढ़ाई में भी मन लगता है।
- शनिदेव के प्रसन्न होने पर वैवाहिक जीवन में आने वाली बढ़ाएं दूर हो जाती हैं एवं पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध बने रहते हैं।
- शनिदेव के प्रसन्न होने पर परिवारजनों के बीच मधुर संबंध बने रहते हैं। यदि आप पर चाचा-चाची, माता-पिता, मामा-मामी, सेवक, सफाईकर्मी, अपंग लोग, कमजोर और अंधे लोग प्रसन्न हैं तो समझो कि शनिदेव आप से प्रसन्न हैं।
- कुंडली में शनि देव की अच्छी दृष्टि होने पर जातक पुलिस, सेना, जज, वकील जैसे क्षेत्र में सर्वोत्तम पद हासिल करता है।
- शनि मंत्र का जाप करने से शनिदेव काफी प्रसन्न होते हैं। शनिदेव की कृपा जातक के जीवन में चल रही समस्याएं खत्म होती हैं।