Om Jai Jagdish Hare Aarti

ॐ जय जगदीश हरे आरती – पूर्ण हिंदी लिरिक्स (PDF) | VedicYuga.com
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ॐ जय जगदीश हरे आरती

Audio Courtesy: VedicYuga Bhajan Archives
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावे फल पावे,
दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का॥

सुख सम्पत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का।
स्वामी कष्ट मिटे तन का॥

मात-पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी।
स्वामी शरण गहूं किसकी॥

तुम बिन और न दूजा,
आस करूं जिसकी।
स्वामी आस करूं जिसकी॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी।
स्वामी तुम अंतर्यामी॥

पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी।
स्वामी तुम सबके स्वामी॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता।
स्वामी तुम पालनकर्ता॥

मैं मूरख खल कामी,
कृपा करो भर्ता।
स्वामी कृपा करो भर्ता॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति॥

किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति।
स्वामी तुमको मैं कुमति॥

दीनबंधु दुःखहर्ता,
तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे॥

अपने हाथ उठाओ,
द्वार पड़ा तेरे।
स्वामी द्वार पड़ा तेरे॥

विषय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा॥

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥